Makar Sankranti 2023: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार हमारे देश में अलग-अलग तरह के त्योहार मनाए जाते हैं और इनमें से Makar Sankranti एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल 14 जनवरी के दिन में मनाया जाता है। यह त्यौहार देश के अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, बिहार में दही चिउरा, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, हरियाणा में लोहड़ी, असम में बिहू, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब और आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में Sankranti।
मकर संक्रांति कब है?
Makar Sankranti Time Table
Makar Sankranti दिनांक: | शनिवार, 14 जनवरी, 2023 |
पुण्य काल मुहूर्त: | प्रातः 08:03 से 12:30 तक |
अवधि: | 4 घंटे 26 मिनट |
महापुण्य काल मुहूर्त: | प्रातः 08:03से 08:27 तक |
अवधि: | 24 मिनट |
संक्रांति पल: | 08 घंटे 03 मिनट |
Makar Sankranti 2023
Makar Sankranti सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ इस पर्व का संबंध हमारी प्रकृति से भी है तो आईये जानते है, कि Makar Sankranti (Makar Sankranti 2023) क्या है, क्यों मनाई जाती है और इसके वैज्ञानिक महत्व के बारे में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है|
मकर संक्रांति का क्या मतलब होता है?
हिन्दू धर्म के अनुसार Makar Sankranti हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है | यह त्यौहार प्रतिवर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है | ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाता है | इसके साथ ही सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ-साथ सूर्य उत्तरायण भी होने लगता है, जिसे बहुत ही शुभ काल माना जाता है | माना जाता है कि संक्रांति के दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है, दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती है | जिसके कारण इस त्यौहार को नई ऋतु और मौसम के स्वागत के तौर पर भी मनाया जाता है |
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है:
Why is Makar Sankranti Celebrated
मकर संक्रांति का पर्व प्रतिवर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है | इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से निकल कर उत्तरायण में प्रवेश करता है | शास्त्रों के अनुसार, उत्तारायण की समय अवधि को देवी-देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के रूप में माना गया है। इसी दिन से शादी-विवाह , मुंडन, गृह प्रवेश,जनेऊ और नामकरण आदि के लिए शुभ समय शुरू हो जाता है |
Makar Sankranti के इस पावन पर्व का पौराणिक महत्व भी है,कहा जाता है कि इसी दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शानि से मिलने उनके घर जाते हैं, जो कि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है | वहीं दूसरी मान्यता है, कि भगवान विष्णु नें इसी दिन पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था, इसी ख़ुशी में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है |
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व:
Religious Importance of Makar Sankranti
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देवता उत्तरायण होते हैं और उत्तरायण देवताओं का अयन है | एक अयन देवताओं का एक दिन होता है इस प्रकार 360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है | सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहा जाता हैं। सूर्य के उत्तर दिशा में जानें को उत्तरायण कहा जाता है और इसी दिन से खरमास भी समाप्त हो जाते है | खरमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किये जाते है |
मान्यताओं के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की उत्तरायण में मृत्युहोने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस त्यौहार को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं, जहाँ प्रकाश और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की पूजा होती है | इसी कारण इस दिन दान, पूजा-पाठ, जप-तप, स्नान आदि धार्मिक क्रिया-कलापों का एक अलग ही महत्व है | कहा जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करनें से सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। जिसके कारण आज भी लोग Makar Sankranti के दिन गंगा में स्नान करनें के साथ ही बढ़-चढ़कर दान करते है |
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
Scientific Importance of Makar Sankranti
जिस प्रकार से Makar Sankranti मनाने का धार्मिक महत्त्व है उसी प्रकार से इस पर्व को मनानें के कुछ वैज्ञानिक महत्व भी है | मकर संक्रांति के समय से ही नदियों में वाष्पन क्रिया होती है और इस दौरान नदियों में स्नान करनें से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते है इसीलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है | चूँकि इस समय सर्दी भी होती है और इस दिन तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है, जो हमारे शरीर को गर्मी प्रदान करता है, जिससे शरीर में ऊर्जा की वृद्धि होती है |
इसके साथ ही इस दिन खिचड़ी का सेवन भी अनिवार्य रूप से किया जाता है | खिचड़ी खाने का वैज्ञानिक कारण है, कि खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है | वहीं यदि खिचड़ी में मटर और अदरक मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानें के साथ ही बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है |
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